निर्यात खेप के लिए ई-वेबिल छूट: थ्रेशोल्ड सीमा और आवश्यकताएँ

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ई-वेबिल, चलते-फिरते माल के डिजिटल संरक्षक, भारत के व्यापार परिदृश्य में सर्वव्यापी हो गए हैं। ये इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कर अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए माल की आवाजाही को ट्रैक करते हैं।

निर्यातकों के लिए, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य की दुनिया में नेविगेट करना पहले से ही काफी जटिल है। निर्यात खेपों के लिए ई-वेबिल छूट इसे पहचानती है, कागजी कार्रवाई की एक परत को हटाती है और निर्यात प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है।

यह लेख इस छूट के लिए सीमाओं, आवश्यकताओं और निर्यातकों के लिए अनगिनत लाभों को उजागर करता है। 

निर्यात खेप के लिए ई-वेबिल क्या है?

ई-वेबिल एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ है जिसमें परिवहन किए जा रहे माल, उनकी उत्पत्ति, गंतव्य और अन्य जरूरी जानकारी का विवरण होता है। 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल की आवाजाही के लिए यह अनिवार्य है।

निर्यात खेप के मामले में, निर्यातक के व्यवसाय स्थल या गोदाम से अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD) या सीमा शुल्क फ्रेट स्टेशन (CFS) तक माल की आवाजाही के लिए एक ई-वेबिल तैयार किया जाता है।

विवरण ई-वेबिल पर वर्णित है।

ई-वेबिल निम्नलिखित अनिवार्य फ़ील्ड के साथ तैयार किया जाना चाहिए:

  • सौदे का प्रकार
  • उप प्रकार
  • दस्तावेज़ का प्रकार
  • दस्तावेज़ संख्या
  • बिल फ्रॉम – GSTIN और राज्य
  • डिस्पैच फ्रॉम – पिन कोड और राज्य
  • बिल टू – जीएसटीआईएन और राज्य
  • शिप टू – पिन कोड और राज्य
  • आइटम विवरण – HSN और मूल्य/कर योग्य मूल्य
  • परिवहन विवरण – ट्रांसपोर्टर ID और अनुमानित दूरी (किमी में)।

वैधता अवधि

ई-वेबिल की वैधता अवधि परिवहन किए जा रहे माल द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर निर्धारित की जाती है। 100 किमी तक की दूरी के लिए, वैधता अवधि एक दिन है, और प्रत्येक अतिरिक्त 100 किमी के लिए, वैधता अवधि में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है।

यह भी पढ़ें – निर्यात कन्साइनमेंट (खेप) के लिए ई-वेबिल: दस्तावेज़ीकरण का अनुपालन सुनिश्चित करना

ई-वेबिल छूट के लिए सीमाएँ

ई-वेबिल भारत में माल की आवाजाही के साथ अनिवार्य इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ हैं। हालाँकि, कुछ विशेष परिस्थितियों और राज्यों में सीमा के आधार पर छूट होती है, जिसका अर्थ है कि यदि सामान का मूल्य एक निश्चित राशि से कम हो जाता है तो आपको ई-वेबिल बनाने की आवश्यकता नहीं है। आइए इन सीमाओं को जाने।

सामान्य सीमा

माल की अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए राष्ट्रीय सीमा 50,000 रुपए है। यदि राज्यों के बीच परिवहन किए गए माल का मूल्य 50,000 रुपये से कम है तो आपको ई-वेबिल बनाने से छूट दी गई है।

राज्यानुसार सीमाएँ

कुछ राज्यों की अपनी थ्रेशहोल्ड सीमाएँ हैं जो राष्ट्रीय सीमा से भिन्न हो सकती हैं। ये 50,000 रुपये से अधिक या कम हो सकती है और यह सीमा अंतरराज्यीय और राज्य के अंदर, दोनों पर लागू होती है। यहाँ पर कुछ आंकड़े दिए गए हैं।

  • दिल्ली: रु. 1,00,000 (राज्य के अंदर या एक राज्य से दूसरे राज्य, दोनों)
  • गोवा: रु. 50,000 (केवल निर्दिष्ट 22 वस्तुओं के लिए)
  • गुजरात: जॉब-वर्क के लिए किसी भी मूल्य की वस्तुओं की एक निर्दिष्ट श्रेणी के अलावा अन्य वस्तुओं के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता नहीं है
  • हरियाणा: रु. 50,000 (सभी कर योग्य वस्तुओं के लिए)

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अंतर्राज्यीय व्यापार के लिए सीमाएँ

एक ही राज्य के भीतर आवाजाही के लिए थ्रेशहोल्ड सीमा अंतरराज्यीय सीमा से भिन्न हो सकती है। दुर्भाग्य से, अंतर्राज्यीय आवाजाही के लिए कोई राष्ट्रीय थ्रेशहोल्ड सीमा नहीं है। प्रत्येक राज्य स्वयं अपनी थ्रेशहोल्ड सीमा निर्धारित कर सकता है या इसे पूरी तरह समाप्त भी कर सकता है। इसलिए जिस राज्य में आप काम कर रहे हैं वहां लागू विशिष्ट नियमों की जांच करना महत्वपूर्ण है।

ध्यान दें:-

  • जिस राज्य से आप सामान भेज रहे हैं या प्राप्त कर रहे हैं, उसके लिए हमेशा विशिष्ट थ्रेशहोल्ड सीमा की जांच करें। यह जानकारी GST पोर्टल पर या कर सलाहकारों के माध्यम से पाई जा सकती है।
  • कुछ विशिष्ट वस्तुओं को मूल्य की परवाह किए बिना ई-वेबिल से छूट मिलती है, जैसे कृषि उपज, शैक्षिक सामग्री और हस्तशिल्प वस्तुएं।

निर्यात खेप के लिए ई-वेबिल में छूट

भारत में अधिकांश निर्यात खेपों की आवाजाही को आम तौर पर ई-वेबिल आवश्यकताओं से छूट दी गई है। परंतु कुछ विशिष्ट वस्तुओं के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता होती है। यहां सामान्य उत्पादों एवं परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत एक सूची दी गई है:

  1. कृषि एवं कृषि संबंधित उत्पाद

  • जीवित जानवर (मवेशी, सूअर, भेड़, मुर्गी)
  • ताजे फल और सब्जियाँ
  • दूध और छाछ
  • शहद
  • मछली, झींगा, और अन्य समुद्री भोजन
  • चाय, कॉफ़ी, और मसाले
  1. औद्योगिक एवं निर्माण कार्य संबंधी सामान

  • सीमेंट और क्लिंकर
  • लौह एवं इस्पात उत्पाद
  • पेट्रोलियम उत्पाद (एलपीजी को छोड़कर)
  • कपड़ा और सूत
  • कागज और कागज उत्पाद
  • रबर और प्लास्टिक उत्पाद
  • रसायन एवं उर्वरक
  • मशीनरी और उपकरण (कुछ उच्च मूल्य वाली वस्तुओं को छोड़कर)
  1. अन्य छूट प्राप्त सामान

  • खाली मालवाहक कंटेनर
  • कस्टम्स  पारगमन के तहत माल (नेपाल और भूटान)
  • रक्षा संबंधी सामान
  • रेल परिवहन द्वारा भेजा गया माल (यदि सरकारी संस्था प्रेषक है)
  • विशिष्ट परिस्थितियों में हस्तशिल्प सामान

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निर्यात व्यवसायों पर ई-वेबिल छूट के परिणाम

भारत में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ई-वेबिल छूट एक महत्वपूर्ण कदम है। यह छूट लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने और परिचालन लागत को कम करने में मदद करती है। यहां इसके प्रमुख प्रभावों पर रोशनी डाली गई है।

सरलीकृत परिवहन

  • अधिकांश निर्यात गतिविधियों के लिए ई-वेबिल तैयार करने की आवश्यकता समाप्त होने से कागजी कार्रवाई में लगने वाले समय की बचत होती है।
  • चेक पोस्ट पर लॉजिस्टिक में कम देरी लगती है क्योंकि वस्तुओं को अनिवार्य सत्यापन से छूट मिल जाती है।
  • उत्पादन इकाइयों से बंदरगाहों तक निर्यात खेपों की सुचारू आवाजाही हो पाती है जिससे समय और श्रम की बचत होती है।

कम लागत

  • निर्यातकों को ई-वेबिल जनरेशन शुल्क से मुक्ति मिलने से लागत मूल्य में बचत होती है।
  • बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता परिवहन लागत को कम करती है और उत्पादन आपूर्ति की रफ्तार को तेज करती है।
  • सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के माध्यम से बचाया गया समय अतिरिक्त लागत लाभ में बदल जाता है।

बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा

  • माल की तेज़ और अधिक कुशल आवाजाही से निर्यात टर्नअराउंड समय में सुधार होता है, जिससे व्यवसायों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलती है।
  • कम लागत भारतीय निर्यात को वैश्विक बाजार में अधिक बेहतर प्रतिद्वंदी बनाती है।
  • सुव्यवस्थित अनुपालन व्यवसाय  के लिए अनुकूल वातावरण तो तैयार करता ही है साथ- साथ यह विदेशी निवेश को भी आकर्षित करता है जिससे निर्यात को बढ़ावा देता है।

चुनौतियाँ और समाधान

  • छूट के बावजूद, कुछ विशिष्ट वस्तुओं और परिस्थितियों में अभी भी ई-वेबिल की आवश्यकता होती है। व्यवसायियों को बदलते नियमों के बारे में हमेशा सजग रहने की आवश्यकता है।
  • निर्यात लाभ का दावा करने और कस्टम्स नियमों का अनुपालन करने के लिए उचित दस्तावेज़ीकरण और रिकॉर्ड-रख-रखाव महत्वपूर्ण है।
  • छूट का सर्वोत्तम लाभ लेने के लिए विश्वसनीय परिवहन और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच आवश्यक है।

ई-वेबिल कैसे जनरेट करें

यदि आपकी निर्यात खेप के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता है, तो इसे कैसे उत्पन्न करें:

  • अपने क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके लॉग इन करें।
  • “ई-वेबिल” विकल्प के अंतर्गत “जेनरेट न्यू” पर क्लिक करें।
  • यदि आप खेप के आपूर्तिकर्ता हैं तो लेनदेन प्रकार के रूप में “आउटवर्ड” चुनें।
  • नाम, GSTIN, पता आदि सहित कंसाइनर (निर्यातक) का विवरण दर्ज करें।
  • नाम, देश आदि सहित कंसाइनी (आयातक) का विवरण दर्ज करें (पिन कोड “999999” का उपयोग करें और राज्य फ़ील्ड में “अन्य देश” चुनें)।
  • HSN कोड, विवरण, मात्रा, मूल्य आदि सहित सामान का विवरण दर्ज करें।
  • वाहन का प्रकार, वाहन संख्या, ट्रांसपोर्टर ID आदि सहित परिवहन विवरण दर्ज करें।
  • दर्ज की गई सभी जानकारी की समीक्षा और सत्यापन करें।
  • “जनरेट ई-वेबिल” पर क्लिक करें।
  • ई-वेबिल जेनरेट हो जाएगा और आप इसे PDF फाइल के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं।

सुचारू ई-वेबिल जनरेशन प्रक्रिया के लिए उपाय

सुचारू और कुशल ई-वेबिल जनरेशन प्रक्रिया के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

प्रक्रिया शुरू करने से पहले

  • अपडेट रहें: चेक पोस्ट पर समस्याओं से बचने के लिए ई-वेबिल नियमों और सीमाओं में किसी भी बदलाव की नियमित जांच करें।
  • दस्तावेज़ व्यवस्थित करें: उत्पादन प्रक्रिया शुरू करने से पहले अपना जीएसटीआईएन, चालान विवरण, ट्रांसपोर्टर जानकारी और वाहन विवरण आसानी से उपलब्ध रखें।
  • मान्य GSTIN: देरी और त्रुटियों से बचने के लिए आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर के GSTIN को सत्यापित करने के लिए आधिकारिक GST खोज उपकरण का उपयोग करें।

प्रक्रिया के दौरान

  • सही लेनदेन प्रकार चुनें: स्पष्ट रूप से निर्देशित करें कि आप माल के आपूर्तिकर्ता (बाहरी) या प्राप्तकर्ता (आवक) हैं।
  • सटीक विवरण भरें: HSN कोड, उत्पाद विवरण, मात्रा, मूल्य, कर दरें और वाहन विवरण सहित सभी जानकारी सावधानीपूर्वक दर्ज करें। किसी भी गलती से बचने के लिए दोबारा जांच करें।
  • स्वतः-भरण (autofill) सुविधाओं का उपयोग करें: कई प्लेटफ़ॉर्म आवर्ती आपूर्तिकर्ताओं, प्राप्तकर्ताओं और उत्पादों के लिए स्वतः-भरण सुविधाएँ प्रदान करते हैं। समय बचाने और त्रुटियाँ कम करने के लिए इनका लाभ उठाएँ।
  • जेनरेट किए गए ई-वेबिल की समीक्षा करें: किसी भी त्रुटि से बचने के लिए जेनरेट किए गए ई-वेबिल की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें। सुनिश्चित करें कि सभी विवरण, विशेषकर वाहन संख्या और GSTIN, सही हैं।

प्रक्रिया के बाद

  • डाउनलोड करें और साझा करें :ई-वेबिल PDF डाउनलोड करें और इसे आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर के साथ इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंटआउट के माध्यम से साझा करें।
  • रिकॉर्ड बनाए रखें : संभावित टैक्स ऑडिट के लिए ई-वेबिल और सहायक दस्तावेजों की प्रतियां रखें।
  • उत्पाद की आवाजाही के दौरान अपडेट करें: यदि परिवहन के दौरान कोई विवरण बदलता है, जैसे वाहन संख्या या मार्ग, तो अधिकृत पोर्टल या ऐप के माध्यम से तुरंत ई-वेबिल अपडेट करें।

अतिरिक्त युक्तियाँ

  • थोक जेनरेशन
  • पर विचार करें: यदि आप बार-बार शिपमेंट संभालते हैं, तो कई प्लेटफार्मों द्वारा पेश की जाने वाली थोक ई-वेबिल जेनरेशन सुविधाओं का पता लगाएं।
  • मोबाइल ऐप का उपयोग करें: ई-वेबिल के ऑन-द-गो जेनरेशन और प्रबंधन के लिए ई-वेबिल मोबाइल ऐप का लाभ उठाएं।
  • सहायता लें: यदि आपको कोई कठिनाई आती है, तो अधिकृत ई-वेबिल सेवा प्रदाताओं या कर पेशेवरों से मदद लेने में संकोच न करें।

गैर-अनुपालन के परिणाम

भारत में ई-वेबिल नियमों का अनुपालन न करने पर कई प्रकार के परिणाम हो सकते हैं। यहाँ एक विश्लेषण दिया गया है।

दंड

  1. मौद्रिक जुर्माना: आवश्यकता पड़ने पर ई-वेबिल नहीं बनाने पर न्यूनतम जुर्माना रु. 10,000, या माल पर देय कर का 100% तक हो सकता है। ई-वेबिल की वैधता अवधि से अधिक होने, उचित दस्तावेज के बिना माल परिवहन करने या अन्य उल्लंघनों के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।
  2. माल और वाहन को रोकना: माल ले जाने वाले वाहन को ई-वेबिल उत्पन्न होने और किसी भी दंड का भुगतान होने तक कर अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है। इससे व्यवसाय संचालन में अप्रत्याशित देरी और व्यवधान हो सकता है।
  3. माल की जब्ती: गंभीर मामलों में, माल को अधिकारियों द्वारा स्वयं जब्त भी किया जा सकता है, खासकर अगर कर चोरी या अन्य अवैध गतिविधि का संदेह हो।

अन्य परिणाम

  • प्रतिष्ठा को नुकसान: ई-वेबिल नियमों का अनुपालन न करने से किसी व्यवसाय की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है, जिससे यह अविश्वसनीय और गैर-पेशेवर दिखाई देगा।
  • कानूनी कार्रवाई: गंभीर मामलों में, कंपनी या इसमें शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिससे संभावित रूप से आपराधिक आरोप लग सकते हैं।
  • कर लाभ का दावा करने में कठिनाई: जो कंपनियां ई-वेबिल नियमों का पालन नहीं करती हैं उन्हें कर लाभ और रिफंड का दावा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल सामान्य परिणाम हैं, और विशिष्ट दंड और कार्रवाई उल्लंघन की विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।

विचार करने के लिए यहां कुछ अतिरिक्त बिंदु दिए गए हैं:

  • जिस स्थिति में उल्लंघन हुआ है, उसके आधार पर दंड की गंभीरता भी भिन्न हो सकती है।
  • कानून की अज्ञानता कोई बहाना नहीं है। व्यवसायी को सभी लागू नियमों और विनियमों का अनुपालन जिम्मेदारी से सुनिश्चित करना चाहिए।
  • कर अधिकारियों को किसी भी समय माल परिवहन करने वाले किसी भी वाहन को रोकने और निरीक्षण करने का अधिकार है।
  • यदि आपको ई-वेबिल नियमों और अनुपालन के बारे में कोई संदेह या प्रश्न है तो कर पेशेवर से परामर्श करना हमेशा उचित होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

  • क्या मुझे किसी निर्यात गतिविधि के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता है?

नहीं, भारत के भीतर अधिकांश निर्यात गतिविधियों को ई-वेबिल से छूट प्राप्त है।

  • निर्यात के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता कब होती है?

यदि सामान आपूर्तिकर्ता से निर्यातक के गोदाम में ले जाया जाता है और मूल्य ₹50,000 से अधिक है, या यदि निर्यात में उत्पादन इकाई से ICD/CFS तक राज्य की सीमाओं को पार करना शामिल है, तो ई-वेबिल की आवश्यकता होती है।

  • छूट से क्या लाभ मिलता है?

निर्यात व्यवसायों के लिए सरलीकृत परिवहन, लागत में कमी और बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता।

  • क्या मुझे कृषि निर्यात के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता है?

आम तौर पर नहीं, जब तक कि मूल्य ₹50,000 से अधिक न हो या विशिष्ट राज्य नियम लागू न हों।

  • क्या मुझे कीमती धातुओं और पत्थरों के लिए ई-वेबिल की आवश्यकता है?

निर्यात संदर्भ की परवाह किए बिना इन्हें ई-वेबिल की आवश्यकता हो सकती है।

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Niharika Kapoor Content Writer
Niharika is a Freelance Content Writer and Translator with a Master of Arts in Literature. She has 5+ years of working in the same and has worked in different industries.

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